चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर तैनात पुलिस।
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कौमी इंसाफ मोर्चा के प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस के बीच आठ फरवरी को हुई भिड़ंत के बाद चंडीगढ़ और मोहाली पुलिस अलर्ट पर है। सोमवार सुबह से ही मोहाली पुलिस ने धरनास्थल और उसके आसपास के इलाके को पुलिस छावनी में बदल दिया। करीब 10 बजे बड़ी संख्या में पुलिस, होमगार्ड, कमांडो और एआरपी (एंटी रायट पुलिस) के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया। वहीं धरनास्थल के आसपास सात बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर भी दिखे। पुलिस का कहना है कि अब प्रदर्शनकारियों द्वारा माहौल न बिगाड़ा जाए, इसके लिए पुलिस सतर्क है और इसी के मद्देनजर ट्रैक्टर मंगवाए गए हैं।
सोमवार को अरदास करने के बाद करीब साढ़े बारह बजे एक 31 सदस्यीय जत्था मुख्यमंत्री आवास की तरफ जाने के लिए निकला। इस दौरान वहां भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद था। प्रदर्शनकारियों को चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर रोक दिया गया। इसके बाद करीब डेढ़ बजे प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्ण ढंग से सड़क पर बैठकर सतनाम वाहेगुरु का जाप करना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने सड़क पर बैठकर ही सुखमणि साहब का पाठ किया। दो घंटे तक सभी प्रदर्शनकारी वहीं पर बैठे रहे। मुख्यमंत्री आवास (चंडीगढ़) की तरफ जाने की अनुमति नहीं मिलने पर वे सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वाईपीएस चौक की ओर लौट आए।
एसएसपी आवास के पास पहुंचे निहंग
प्रदर्शनकारियों का जत्था रवाना होने के करीब एक घंटे बाद एसएसपी आवास के पास पड़ते फेज-3ए के लाइट प्वाइंट पर कुछ निहंग इकट्ठा हो गए। इन्हें देखकर पुलिस प्रशासन एकदम से हरकत में आ गया लेकिन गनीमत रही कि उन्होंने नारेबाजी नहीं की।
बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर की यह है खासियत
जानकारी के अनुसार 1990 के दशक की शुरुआत में जब खालिस्तान आंदोलन चरम पर था। तब पहली बार पंजाब पुलिस ने बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर बनवाए थे। इनसे 15 फीट ऊंचे गन्ने के खेत में छिपे खालिस्तानी आतंकियों का खात्मा करने में मदद मिली थी। वहीं इसके बाद दीनानगर में थाने में हुए हमले के बाद पंजाब सरकार ने हर बॉर्डर रेंज पर पांच-पांच ट्रैक्टर दिए थे। इन ट्रैक्टर की खासियत यह है कि यह तेज गति से चलते हैं। वहीं इनमें फुटेज रिकॉर्ड करने की भी सुविधा है। इसके अलावा यह चालक को प्रदर्शनकारियों के हमले से बचाने में भी सक्षम है।