मनीष सिसोदिया और एलजी वीके सक्सेना
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक महीने से अधिक समय तक दिल्ली के गृह मंत्री मनीष सिसोदिया के स्तर पर लंबित सभी फाइल वापस लौटाने का गृह विभाग को आदेश दिया है। एलजी कार्यालय की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में रविवार को इसकी जानकारी दी गई। टीओबीआर के नियम 19(5) के तहत एलजी को जनहित में मंत्रियों या मुख्यमंत्री के पास लंबित फाइलों को वापस लेने का अधिकार देता है। यह नियम सरकार को एलजी को फाइलें भेजने के लिए मजबूर करता है। लंबित फाइलों की वजह से विकास संबंधी कई परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में बाधाएं पेश आ रही हैं।
एलजी ने कहा कि दिल्ली सरकार की निष्क्रियता के कारण ही फाइलें सालों से लंबित हैं। भू-स्वामित्व रखने वाली एजेंसी के अनुरोध पर अनधिकृत धार्मिक ढांचों को हटाने पर विचार करने की सिफारिश पर 2014 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अनुसरण करते हुए एक धार्मिक समिति गठित की गई थी। समिति की अध्यक्षता राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम (जीएनसीटीडी) के गृह सचिव द्वारा की जाती है, जबकि दिल्ली पुलिस और भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसियों के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हैं।
धार्मिक समिति की सिफारिशों के बावजूद अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने पर पाबंदी के कारण दिल्ली में कई प्रमुख विकास परियोजनाएं रुकी हुई हैं। दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने मई, 2022 से कई एजेंसियों के ऐसे 78 प्रस्तावों को लंबित रखा। इसे देखते हुए एलजी वीके सक्सेना ने ऐसी सभी फाइलों को वापस लेने का आदेश दिया है। अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने का प्रस्ताव दिल्ली-सहारनपुर एक्सप्रेस वे के निर्माण से संबंधित हैं। 2018 से लंबित ऐसे स्थानों पर सामान्य पूल आवासीय आवास (जीपीआरए) के तहत सरकारी आवासीय फ्लैट और 77 कॉरिडोर से भीड़भाड़ कम किया जाना था। दिल्ली सरकार की निष्क्रियता के कारण 2017 से करीब 5 वर्षों से लंबित 77 गलियारों से भीड़भाड़ कम किया जाना जरूरी है। दिल्ली में यातायात को सुगम बनाने और वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है। दिल्ली-सहारनपुर एक्सप्रेस वे ( दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का एक हिस्सा) एक समयबद्ध परियोजना है, जिसकी निगरानी प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर पर की जा रही है।
एलजी ने दावा किया कि 16 दिसंबर को गृह विभाग ने मनीष सिसोदिया को पत्र लिखकर इन मामलों को मंजूरी देकर इन्हें एलजी को भेजने का अनुरोध किया था। लेकिन फाइलें अभी भी लंबित हैं। एलजी को गृह विभाग की तरफ से सौंपे गए नोट के मुताबिक केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने जीपीआरए के तहत सरकारी आवासीय फ्लैटों के निर्माण के लिए 53 अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने का प्रस्ताव दिया था। इसमें से धार्मिक समिति ने ऐसे 51 ढांचों को हटाने की सिफारिश की थी। इसी तरह धार्मिक समिति को 77 गलियारों पर बने 20 अनधिकृत धार्मिक ढांचों को हटाने के प्रस्ताव मिले थे, जिनमें से 15 को हटाने की सिफारिश की गई थी। समिति ने 23 अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं में से 9 को हटाने की सिफारिश की ताकि छह-लेन दिल्ली-सहारनपुर एक्सप्रेसवे के निर्माण में बाधा ना आए।